
क्या मनुष्य ओरंगुटान से अधिक बुद्धिमान हैं?、क्या यह तोते से भी अधिक चतुर है?。हम अक्सर जानवरों को हेय दृष्टि से देखते हैं और हमें इसका एहसास भी नहीं होता।。हम तोते को शब्द सिखाते हैं、यह देखकर मुझे संतुष्टि मिलती है कि वे इसे याद रखते हैं।。लेकिन、तोते हमें क्या सिखा रहे हैं、स्वीकार करें कि ओरंगुटान हमें क्या सिखा सकते हैं、क्या हम तोते और वनमानुष को खुश कर सकते हैं?。
शायद、शायद हम इसी को "संसार" समझते हैं।。न केवल मनुष्य बनाम गैर-मानव जानवर (और शायद पौधे भी)、इंसानों की श्रेणी में भी、जाति और क्षेत्र、स्थिति、यदि हम इसे आर्थिक शक्ति की उपस्थिति या अनुपस्थिति से प्रतिस्थापित करें,、मुझे लगता है कि एक समान परिप्रेक्ष्य है。
इसे "मानवीय अहंकार" कहकर भी आलोचना की जा सकती है।、कुछ न कुछ हम सब करते हैं、इसका मतलब यह नहीं कि मैं कभी विनम्र नहीं रहूँगा、ऐसा नहीं है कि मैं एक कदम आगे जाकर अपनी समझ को गहरा करने की कोशिश करूंगा।。संक्षेप में, यह सिर्फ मुँह है.。दरअसल, मुझे लगता है कि यही "अहंकार" का सार है।。
कुंआ、जब हम इसमें कला लागू करते हैं तो क्या होता है?、यह रोचक है。